बुद्धिजीवियों की भूमिका क्या होनी चाहिए। एडवर्ड
सईद के इस वृहद् आलेख में यही है। हर वह व्यक्ति जो अपने को बुद्धिजीवी कहता, मानता अथवा समझता है या फिर होना चाहता है उसे यह आलेख जरूर पढ़ना चाहिए और जानना चाहिए की वह अपनी बुद्धिजीविता की कसौटी पर कितना खरा है।
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