रविवार, 17 अक्तूबर 2010

हम जो अब तक मरे नहीं गए


दिल्ली में वकालत की धूनी जमाये रंजीत वर्मा की यह कविता हिंदी साहित्य जगत में धूम मचाये हुए है। पढ़िए और जानिये क्यों ?

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