फाल्गुन विश्व एक ऐसी पत्रिका है, जो समय-सत्ता-समाज से सार्थक संवाद के साथ करूणा-न्याय-समता का संवहन भी करती है. फाल्गुन विश्व विचार शून्य होती जा रही इस धरती पर वैचारिक-सांस्कृतिक पत्रकारिता की अलख जगाए रहने को कृतसंकल्प है. प्रतिबद्धता और सरोकार के इस मंच पर आपका हार्दिक स्वागत है...
शायद इस समय जब फ़िक्रें शुन्याँ में चली गयीं है, और हर इंसान मशीन और मतलबी बन गया. उस वक़्त में इस जैसी केसी पत्रिका को देखकर दिल हे नहीं शायद चेहरा भी खिल उठता है..... ये शायद मेरी हकीक़त है जो इसे देखने के बाद पैदा हुयी..... -sALMAN rIZVI-
शायद इस समय जब फ़िक्रें शुन्याँ में चली गयीं है, और हर इंसान मशीन और मतलबी बन गया.
जवाब देंहटाएंउस वक़्त में इस जैसी केसी पत्रिका को देखकर दिल हे नहीं शायद चेहरा भी खिल उठता है.....
ये शायद मेरी हकीक़त है जो इसे देखने के बाद पैदा हुयी.....
-sALMAN rIZVI-