रविवार, 17 अक्तूबर 2010

अब तो याद कर लो माओ की नसीहत


प्रतिष्ठित बांग्ला एवं हिंदी कवि विश्वजीत सेन इन दिनों माओवादियों पर उखड़े हुए हैं। कानू सान्याल की हाल ही प्रकाशित किताब के हवाले से वह इनदिनों नक्सल वादियों की खूब कान खिंचाई कर रहे है। पढ़िए...

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