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रविवार, 17 अक्टूबर 2010
सु-साइड सेवर डट काम का विज्ञापन
अब तो याद कर लो माओ की नसीहत
समुदाय बनाम विकास
हम जो अब तक मरे नहीं गए
प्रेमचंद जी
ब्लागगिंग कार्यशाला, आक्सीजन और दिल तो पागल है
बहुत सोचने के बाद यही शीर्षक सूझा इस बेहतरीन रपट का। यशवंत सिंह भड़ास फॉर मीडिया डाट काम नामक वेबसाइट चलाते हैं। पिछले कुछ समय से इनकी कलम भी पुनः चलने लग पड़ी है। वर्धा के महात्मा गाँधी अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय में आयोजित दो दिनी ब्लॉगर सम्मलेन में यशवंत भी पूरी मुस्तैदी से उपस्थित थे। वहाँ से लौटकर उन्होंने कमाल की रपट लिखी, जो उनके वेबसाइट से हमने अपने पाठकों के लिए साभार ली है। रपट के बारे में ज्यादा बताना ठीक नहीं आप पढ़िए।
बढ़ रही है हिंदी ब्लॉगों की धमक
पेशे से पत्रकार संजीत त्रिपाठी ब्लॉगों की दुनिया का लोकप्रिय नाम है। इसी अक्टूबर में वर्धा के महात्मा गाँधी अंतर्राष्ट्रीय विश्विद्यालय में दो दिन का ब्लॉगर सम्मलेन अयोकित किया गया था। इस विश्व विद्यालय की ओरसे आयोजित यह दूसरा सम्मलेन था। इसके पहले इसी तरह का एक सम्मलेन इलाहाबाद में आयोजित हो चुका है। वर्धा का सम्मलेन ब्लॉगों के लिए आचार संहिता की गुंजाइश की तलाश पर केन्द्रित था। संजीत वहाँ थे सो उन्होने अपने ब्लॉग पर उस सम्मलेन की रपट प्रकाशित की। हमने उन्हीं के ब्लाग से लेकर यह रापर अपने पाठकों के लिए प्रकाशित की है।
अयोध्या फैसले पर यह सोचता है पकिस्तान
बिक़े हुए हैं अखबार कोई खबर नहीं
गुरुवार, 7 अक्टूबर 2010
विचारहीन प्राथमिकताओं से आज़ादी
पिंगली वेंकैया को कौन जानता है?
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