मंगलवार, 10 मई 2011

महेश वर्मा की कविताएँ



इसी के आलोक में
फिर लौटकर
यहाँ
कुर्सी
पीठ
रात
कमीज़
छींक

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें