फाल्गुन विश्व एक ऐसी पत्रिका है, जो समय-सत्ता-समाज से सार्थक संवाद के साथ करूणा-न्याय-समता का संवहन भी करती है. फाल्गुन विश्व विचार शून्य होती जा रही इस धरती पर वैचारिक-सांस्कृतिक पत्रकारिता की अलख जगाए रहने को कृतसंकल्प है. प्रतिबद्धता और सरोकार के इस मंच पर आपका हार्दिक स्वागत है...
मासूम मन पर सब से ज्यादा प्रभाव स्कूलों का होता है। लेकिन आजकल के स्कूल मासूम मन की मासूमियत के किस तरह हत्या कर रहे हैं इसी की बानगी है फतेहचंद की इस कविता में। इस कविता को ही इस बार हमने प्रथम बात स्तम्भ का विषय बनाया है।
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