बुधवार, 17 नवंबर 2010
संगीता महाजन के चित्र
यह अंक मासूमियत को समर्पित
शिक्षक सर, टीचर मैडम, आइये बच्चों को मार दें
इस पृष्ठ पर अरुण कमल और कुमार अम्बुज की कविता
सातवीं कक्षा के विद्यार्थी का शोध प्रबंध, लीजिये शीर्षक ने ही सब कुछ कह दिया। अरुण कमल ने इस कविता के जरिये बालपन से किशोरावस्था की दहलीज पर पहुँचते बच्चों की मानसिकता का मार्मिक विश्लेषण किया है इस कविता में। और कुमार अम्बुज ने एक नागरिक के तौर पर हमारे संकुचित होते जाने को अपनी कविता का विषय बनाया है। दोनों ही कविताएँ मासूम मानों पर खूब प्रभाव छोड़ती हैं।
इस पृष्ठ पर विष्णु खरे और गुलज़ार की कविताएँ
व्योमेश शुक्ल की दो कविताएँ
चुटिया धारी कामरेड
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