मुखपृष्ठ पर इस बार प्रख्यात चित्रकार वॉन गॉग का कारागार के कैदी शीर्षक की आयल-पेंटिंग का चित्र.
शुक्रवार, 24 दिसंबर 2010
अनुराग वत्स के कुछ नोट्स
युवा कवि अनुराग वत्स के कुछ नोट्स फाल्गुन विश्व के पाठकों के लिए. ये नोट्स अनुराग के सृजनात्मक मेधा की बानगी मात्र हैं.
हिंदी साहित्य एक आदर्श हाउसिंग सोसाइटी प्रा. लि. है
हिंदी के हमारे समय के सबसे मशहूर कवि, कथाकार, उपन्यासकार उदय प्रकाश को हाल ही साहित्य अकादमी ने पुरस्कृत कर अपनी बीती गलतियों पर एक तरह से पर्दा डाल दिया है. लेकिन पुरस्कार की घोषणा होने के बहुत पहले उदय जी अपने ब्लॉग पर यह आलेख अपनी एक लम्बी कविता के साथ प्रकाशित कर चुके थे.
तबाही के बीज
देविंदर शर्मा का यह आलेख हमें किसानों के जीवन में इस समय तबाही मचाये हुए बीजों के गोरखधंधे से परिचित कराता है.
सामाजिक कैंसर है अन्धविश्वास
कोलकाता विश्वविद्यालय में हिंदी विभाग के प्रोफ़ेसर जगदीश्वर चतुर्वेदी का यह आलेख अन्धविश्वास के विविध पहलुयों से वाकिफ और सतर्क करता है.
आज भी प्रासंगिक हैं गाँधी
प्रखर गाँधीवादी लक्ष्मीचंद गाँधी का हाल ही ८५ वर्ष की आयु में मुंबई में निधन हुआ. यह बातचीत अफलातून के ब्लॉग से साभार लेकर यहाँ प्रकाशित.
मित्रता का स्त्रीवादी मर्म
कोलकाता विश्वविद्यालय की स्कालर विजया सिंह का यह लेख मित्रता के तमाम मर्म से पाठकों को परिचित करतता है.
बुधवार, 17 नवंबर 2010
संगीता महाजन के चित्र
यह अंक मासूमियत को समर्पित
शिक्षक सर, टीचर मैडम, आइये बच्चों को मार दें
इस पृष्ठ पर अरुण कमल और कुमार अम्बुज की कविता
सातवीं कक्षा के विद्यार्थी का शोध प्रबंध, लीजिये शीर्षक ने ही सब कुछ कह दिया। अरुण कमल ने इस कविता के जरिये बालपन से किशोरावस्था की दहलीज पर पहुँचते बच्चों की मानसिकता का मार्मिक विश्लेषण किया है इस कविता में। और कुमार अम्बुज ने एक नागरिक के तौर पर हमारे संकुचित होते जाने को अपनी कविता का विषय बनाया है। दोनों ही कविताएँ मासूम मानों पर खूब प्रभाव छोड़ती हैं।
इस पृष्ठ पर विष्णु खरे और गुलज़ार की कविताएँ
व्योमेश शुक्ल की दो कविताएँ
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