बुधवार, 8 जून 2011

कविता से छद्म छनकर बाहर आ जाता है

१८५७ के स्वाधीनता संग्राम में दलितों की भूमिका से परिचित करा रहे हैं वरिष्ठ कवि-चिन्तक बद्रीनारायण तिवारी
साथ ही वरिष्ठ दलित साहित्यकार ओमप्रकाश वाल्मीकि से गजेन्द्र मीणा की बातचीत 





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